आज इस पोस्ट में हम लोग जानेंगे की नए भारत का पैगम्बर किसे कहा जाता है. साथ ही उन महापुरषों के जीवन को विस्तार से जानने की कोशिश करगें. तो आईये जानने की कोशिश करते हैं की नए भारत का पैगम्बर किसे कहा जाता है
Naye Bharat ka Paigambar Kise Kaha Jata Hai
Who is the Prophet of New India. यह प्रश्न अक्सर आपके सामने आता है की नए भारत का पैगम्बर किसे कहा जाता है? इसके उत्तर की बात करते हैं तो मुख्यतः 4 लोगो के नाम सामने आते हैं-
- श्री रामकृष्ण परमहंस जी
- दयानंद सरस्वती जी
- स्वामी विवेकानंद जी
- राजा राममोहन राय जी
विस्तार से जानते हैं की उपरोक्त चारों महान व्यकितयों में से किसे नए भारत का पैगम्बर किसे कहा जाता है
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एक- एक करके चारों व्यकितयों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं, उनके कार्यों के बारे में जानते हैं एवम् अपने प्रश्न की Naye Bharat ka Paigambar Kise Kaha Jata Hai के उत्तर को तर्कपूर्वक जानते हैं.
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Table Of Contents
श्री रामकृष्ण परमहंस
श्री रामकृष्ण परमहंस एक महान विचारक थे. रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फ़रवरी 1863 को बंगाल राज्य के एक छोटे से गाँव कामारपुकुर में हुआ था. इनके माता पिता का नाम खुदीराम एवम् चंद्रा देवी था. रामकृष्ण परमहंस के जन्म से कुछ समय पहेले इनके माता पिता दोनों को ही दिव्य शक्तियों का अनुभव हुआ था, अतः माता पिता को पहेले से ही ज्ञात हो गया था की उनके घर एक असाधारण शिशु ने जन्म लिया है.
आइये जानते हैं की क्या यह असाधारण बालक ही हमारे प्रश्न यानि की Naye Bharat ka Paigambar Kise Kaha Jata Hai का सही उत्तर हैं.
पिता की म्रत्यु के पश्च्यात रामकृष्ण परमहंस के बड़े भाई अध्ययन के लिए उन्हें कोलकता ले गए, अनेको पर्यास के बाद भी जब उनका मन पढ़ाई में नहीं लगा तो उन्हें बड़े भाई ने अपने साथ सहायक के तौर पर दक्षिणेश्वर काली मंदिर में काम मे लगाया. रामकृष्ण परमहंस जी को देवी की प्रतिमा को सजाना का कार्य सोंपा गया. ये लगभग 1855 के आसपास की बात है. रामकृष्ण परमहंस यहाँ से अध्यात्म की तरफ़ मुड़ते चले गए. 1856 में बड़े भाई की म्रत्यु के पश्च्यात रामकृष्ण परमहंस को इसी मंदिर का मुख्य पुरोहित बनाया गया. यही पर उन्हें काली माता के दर्शन प्राप्त हुए. अब आगे जानते हैं की Naye Bharat ka Paigambar Kise Kaha Jata Hai
इनके बचपन का नाम गदाधर था, इस समय तक इन्हें इसे नाम से जाना जाता था. इनके साधना मे अत्यधिक लीन होने पर चिंता पूर्वक रामकृष्ण परमहंस माता ने बलपूर्वक इनका विवाह शारदा देवी से करवा दिया. शादी के कुछ समय बाद रामकृष्ण परमहंस ने पूर्णतया सन्यास ग्रहण किया एवम् इन्हें गदाधर से रामकृष्ण परमहंस का नाम मिला.
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रामकृष्ण परमहंस ने कठिन साधना मे आगे का जीवन व्यतीत किया अनेको धर्मो की साधना की जिनमे इस्लाम एवम् क्रिश्चियन धर्म भी हैं. इसी कारण से इनकी शिक्षा में सभी धर्मो की एकता की बाते झलकती हैं. उन्होंने संसार को सिखाया की सभी धर्म सामान हैं एवम् ईश्वर प्राप्ति के विभिन्न मार्ग मात्र हैं. रामकृष्ण परमहंस एक महान विचारक थे एवम् इनके विचारो ने सभी धर्मो के लोगो को अत्यधिक प्रभावित किया है. परन्तु क्या इन्हें Naye Bharat ka Paigambar Kise Kaha Jata Hai के उत्तर में कहा जा सकता है?
श्री रामकृष्ण परमहंस जी को एक महान विचारक एवम सन्यासी तो कहा गया है परन्तु नए भारत का पैगम्बर किसे कहा जाता है क्या श्री रामकृष्ण परमहंस जी को? ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है.
अतः नए भारत का पैगम्बर किसे कहा जाता है इस प्रशन का उत्तर रामकृष्ण परमहंस ज्ञात नहीं हो रहा है.
Few Unknow Facts about रामकृष्ण परमहंस जी:
-रामकृष्ण परमहंस जी ने अपने जीवन के 20 साल से भी अधिक कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर में पुजारी के रूप में व्यतीत किये थे। काली माता के प्रति गहन भक्ति के लिए रामकृष्ण परमहंस जी दूर दूर तक प्रसिद्ध थे.
– रामकृष्ण परमहंस जी विवादों से कभी अछूते नहीं रहें. उनके महिला साधको के वज़ह से उनका नाम बहुत बार उछला , परन्तु रामकृष्ण परमहंस जी का विचार था की सभी को सत्य की खोज करने का अधिकार है.
– जो सबसे खास बात रामकृष्ण जी को बाकी सभी लोगो से अलग कर देती है वो थी उनकी सादगी और सरलता से जटिल से जटिल आध्यात्मिक विषयों को दुसरो को समझाने की कलां.
– रामकृष्ण परमहंस जी की शिक्षाओं को संगृहीत करने के लिए उनके शिष्य महेंद्रनाथ गुप्त ने “श्री रामकृष्ण के सुसमाचार” नामक पुस्तक में लिखी है.
– रामकृष्ण परमहंस जी गले के कैंसर से पीड़ित हुए एवं इसी बीमारी के कारण दिनांक 16 अगस्त, 1886 को मात्र 50 वर्ष की आयु में ही उनका निधन हो गया.
दयानंद सरस्वती
महर्षि दयानंद सरस्वती एक महान विचारक , सामाजिक कार्यकर्ता एवम् आर्यसमाज साम्प्रदाय के संस्थापक थे. इनके विचारो से प्रभावित होकर इनके साथ बहुत सारे महापुरुष जुड़े. इनमे भगत सिंह , लाला लाजपत राय, राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ इत्यादि प्रमुख है. महर्षि दयानंद सरस्वती के कार्यों ने अनेको अनेको लोगो को प्रभावित किया हैं आगे देखते हैं की हमारे प्रश्न Naye Bharat ka Paigambar Kise Kaha Jata Hai का उत्तर क्या महर्षि दयानंद सरस्वती हैं?
दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फ़रवरी 1824 को मोरबी, गुजरात में हुआ था. ये एक संपन्न परिवार मे पैदा हुए थे. इनके पिताजी करशनजी लालजी तिवारी, अंग्रेजी शासन में प्रभावशाली पद पर नियुक्त थे. दयानंद सरस्वती के बचपन का नाम मूलशंकर था. बचपन की एक घटना ने इन्हें हिन्दू धर्म की मान्यतायों पर प्रशन उठाने के लिए बाध्य किया. शिवरात्रि में मंदिर में रात्रि में भगवान के प्रशाद को चूहें खा रहे थे तब दयानंद सरस्वती को लगा की भगवान अपने प्रशाद की रक्षा नहीं कर पा रहे तो भक्तो की कैसे कर सकते हैं.
इस बात पर इनकी पिता से मूर्ति पूजा को लेकर बहस हुई .बस इसी घटना के बाद से दयानंद सरस्वती जी सत्य की खोज में लग गए
दयानंद सरस्वती ने वर्ष 1875 में मुंबई में आर्य सामाज की स्थापना की. इन्होंने स्वराज शब्द का सबसे पहले दीप जलाया जिसे बाद में लाला लाजपत राय ने आगे बढ़ाया. दयानंद सरस्वती ने प्रथम स्वतंत्रा संग्राम मे अहम् योगदान दिया एवम् सत्यार्थ प्रकाश नाम की प्रमुख किताब लिखी. इसी ग्रन्थ को आर्य सामाज के प्रमुख ग्रन्थ के रूप मे गिना जाता है.
दयानंद सरस्वती जी ने असख्य लोगो के जीवन को प्रभावित किया एवम् महर्षि दयानंद सरस्वती के नाम से विख्यात हुए.
परन्तु Naye Bharat ka Paigambar Kise Kaha Jata Hai इस प्रश्न का उत्तर महर्षि दयानंद सरस्वती भी ज्ञात नहीं हो रहा है.
स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद भारत की गणना भारत के महान विचारक एवम् अध्यात्मिक गुरुओं मे की जाती है. इन्होने विश्व भर में भारत के सनातन धर्म का डंका बजाय एवम् हजारों लाखों लोगो के जीवन को प्रभावित किया. भारतीय विदांत एवम् आध्यत्म को विश्व भर में फैलाने में स्वामी विवेकानंद के योगदान को हमेशा याद रखा जायगा. हमारे प्रश्न Naye Bharat ka Paigambar Kise Kaha Jata Hai का उत्तर क्या स्वामी विवेकानंद हैं?
स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के विचारो से प्रभावित होकर रामकृष्ण मिशन को प्रारम्भ किया जो निरंतर काम कर रहा है.
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में कोलकाता में हुआ था, इनके बचपन का नाम नरेन्द्र दत्त था. बचपन से ही स्वामी विवेकानंद अध्यात्म से प्रभावित थे. युवावावस्था को प्राप्त करने से पहेले ही इन्होने सभी वेदों, ग्रंथो, पुराणों एवम् भाषाओँ का अध्ययन कर लिया था. जैसे जैसे ये बड़े होते गए सभी धर्मो एवम् मान्यताओं से इनका मोह सांसारिक बन्धनों से हटता गया एवम् सत्य की ख़ोज में और आगे बढ़ने की लिए प्रेरित किया.
स्वामी विवेकानंद ब्रह्म समाज़ में भी शामिल हुए लेकिन वहां भी इन्हें सत्य की प्राप्ति नहीं हुई. हर तरफ एवम् हर तरह से निराश होने के बाद स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस की शरण में गए एवम् फिर उन्ही के होकर रह गए. स्वामी विवेकानंद तर्कवादी थे, हर वस्तु विषय को तर्कपूर्वक देखते थे, परन्तु रामकृष्ण परमहंस जी ने उन्हें ज्ञान दिया की बुद्धिमान बन कर कुछ हासिल नहीं होगा जब तक समर्पण भाव से प्रभु की शरण में नहीं आओगे.
यहीं से स्वामी विवेकानंद का जीवन के प्रति नज़रिया बदल गया, उन्हें समझ आ गया की समर्पण एवम् विवेक से सत्य को पाया जा सकता है. एवम् वो सदा सदा के लिए नरेन्द्र दत्त से स्वामी विवेकानंद में परिवर्तन हो गया.
1893 में शिकागो में हुए विश्व धर्मं सम्मलेन में बड़ी मुश्किल से स्वामी विवेकानंद को 2 मिनट का समय दिया गया लेकिन स्वामी विवेकानंद के प्रथम कथन “मेरे अमरीकी बहिनों भाईओं” ने सबका दिल जीत लिया एवम् सब लोगो ने मंत्र मुग्द होकर इनका भाषण सुना. यहाँ से स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्धी विश्व भर में फैल गयी, एवम् अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका सभी जगह स्वामी विवेकानंद द्वारा प्रभावित जनमानस में हिन्दुस्तानी सभ्यता, दर्शन एवम् हिन्दू धर्म के अनुयायी बढ़ते चले गए.
स्वामी विवेकानंद को भारत के अध्यात्म को विश्व के कोने कोने में फैलाने के लिए सदेव याद रखा जायगा. स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस अर्थात 12 जनवरी को आज भी राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
Naye Bharat ka Paigambar Kise Kaha Jata Hai इस प्रश्न के उत्तर में महर्षि दयानंद सरस्वती भी सही प्रतीत नहीं हो रहे है.
राजा राममोहन राय
राजा राममोहन राय आधुनिक भारत एक महान विचारक एवम् अहम् समाजसुधारक थे. आधुनिक भारत की असंख्य कुरीतियों को दूर करने में राजा राममोहन राय का अहम योगदान है. इन्होने ब्रह्म समाज की स्थापना की, जिसे प्रारम्भ मे ब्रह्म सभा कहा जाता था. राजा राममोहन राय ने भरतीयो के जीवन मे एक अमिट छाप छोड़ी, रविन्द्र नाथ टैगोर इनके सबसे प्रमुख शिष्यों में से एक थे. हमारे प्रश्न नए भारत का पैगम्बर किसे कहा जाता है का उत्तर क्या राजा राममोहन राय हैं? आइये देखते हैं
राजा राममोहन राय का जन्म वर्ष 1772 मे 22 मई को बंगाल राज्य में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. बचपन से ही राजा राममोहन राय पढाई में बहुत तेज़ थे एवम् 14-15 वर्ष की अवस्था को प्राप्त करते करते इन्होने विभिन्न भाषाओँ एवम् ग्रंथो का अध्ययन कर लिय था, इसके पश्चात 1803 से इन्होने अंग्रेजी शासन में नौकरी की लेकिन 1814 में नौकरी से इस्तीफा देकर सामाजिक उत्थान में अपना जीवन निर्छावित कर दिया.
राजा राममोहन राय हिंदी भाषा के बेहद करीबी थे एवम् इन्होने बहुत सारे तर्क संगत लेख भी लिखे. राजा राममोहन राय रूढ़िवादिता एवम् अंधविश्वास के कट्टर विरोधी थे लेकिन भारतीय संस्कृति एवम् भाषा के प्रगड़ समर्थक. भारतीय समाज के उत्थान का सपना ही उनका एक मात्र लक्ष्य था.
सती प्रथा, पर्दा प्रथा, जातिवाद, छुवाछुत, मूर्ति पूजा इत्यादी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में राजा राममोहन राय के योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा. राजा राममोहन राय के इन्ही कार्यों से प्रभावित होकर अकबर 2 ने इन्हें राजा की उपाधि दी एवम् इन्हें भारतीय पुनर्जागरण का पिता एवम् नए भारत का पैगम्बर कहा.
निष्कर्ष
अतः हम सफ़लता पूर्वक कथन कर सकते हैं की हमारे प्रश्न की Naye Bharat ka Paigambar Kise Kaha Jata Hai, का उत्तर राजा राममोहन राय है.
FAQs
ब्रह्म समाज के संस्थापक कौन थे?
राजा राममोहन राय ब्रह्म समाज के संस्थापक थे.
भारत का पैगम्बर कौन हैं?
अपने कार्यों एवं कुरातियों को दूर करने के लिए राजा राममोहन राय को भारत का पैगम्बर कहा जाता हैं.
स्वामी विवेकानंद के गुरु कौन थे?
रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद के गुरु थे.
Naye Bharat Ka Paigambar Kise Kaha Jata Hai?
आर्य समाज के संस्थापक कौन थे?
महर्षि दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक थे.
नए भारत का पैगंबर किसे कहा जाता है?
राजा राममोहन राय को नए भारत का पैगंबर कहा जाता है.
राजा राम मोहन राय के बारे में आप यहाँ भी पढ़ सकते हैं
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